सबसे ज्यादा लोकप्रिय गीता श्लोक (हिन्दी अर्थ सहित) जो आपके जीवन में ज्ञान का प्रकाश भर देगा | Most Popular Gita Slokas with meaning in Hindi
महाभारत में भगवन श्री कृष्ण अर्जुन के मन में उत्पन्न भ्रान्ति को दूर करने के लिए कर्मयोग का अमूल्य उपदेश देते है, जिसे श्लोक के माध्यम से बताया गया है, भगवद गीता श्लोक, उनके भावार्थ तथा हिंदी कविता के द्वारा अर्थ इसप्रकार दिया गया है, जिससे श्लोक के अर्थ सरलता पूर्वक समझ आ जायेंगे :-
#1 Gita Slok
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
हिंदी अर्थ: श्री कृष्ण भगवान अर्जुन से बोले- हे अर्जुन ! तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने पर है, फल पर नहीं। इसलिए तुम फल की चिंता को छोड़कर अपना कर्म करो। फल हर हाल में मैं ही दूंगा। जो व्यक्ति फल की अभिलाषा से कर्म करते हैं, वह न तो उचित कर्म कर पाते हैं और ना ही उस फल को प्राप्त कर पाते हैं। इसलिए हे अर्जुन ! कर्म को तुम अपना धर्म मानकर करो।
कर्म तेरे अधिकार में केवल कर्म किए जा तू कर्म किए जा।
फल की इच्छा त्याग के अर्जुन पालन अपना धर्म किए जा ॥
#2 Gita Slok with meaning in Hindi
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय,
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा
न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा
न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥
हिंदी अर्थ: श्री कृष्ण भगवान कहते हैं- जिस प्रकार मनुस्य पुराने वस्त्रों 🥋को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है, ठीक उसी प्रकार जीव आत्मा भी पुराने शरीर को त्याग कर नए शरीर को धारण करती है, इसलिए ज्ञानी पुरुष कभी किसी के मरने का शोक नहीं मनाते।
देह भी चोला वस्त्र भी चोला, है यह तथ्य विचारने जैसा।
चोले के इस परिवर्तन पर, क्या है धीरज हारने जैसा ॥
देह के दीप में प्राणो की ज्योति, काल जलाए काल बुझाए।
ज्ञानी विचलित होते नहीं, कोई जग में रहे या जग से जाए ॥
#3 गीता श्लोक
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥
हिंदी अर्थ: श्लोक के द्वारा श्री कृष्ण भगवान कहते हैं- आत्मा को न तो शस्त्र ⚔️ काट सकता है, न ही अग्नि 🔥 जला सकती है, न ही पानी 🌊 गिला कर सकती है और न ही वायु सूखा सकती है।
आत्मा है वह सत्य की जिसको, शस्त्र काट नहीं पावे हो ।
अग्नि का भाग चर्म का तन है, तन को भस्म बनावे हो।
अजर अविनाशी अमर आत्मा को, कैसे अग्नि जलावे हो ॥
आत्मा नहीं माटी की मूरत, जिसको नीर गलावे हो।
यह तो है महासागर जिसकी, कोई थाह नहीं पावे हो॥
#4 गीता श्लोक
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
हिंदी अर्थ: श्री कृष्ण भगवान अर्जुन से कहते हैं - इस पृथ्वी पर जब जब धर्म की हानि होती है, तथा अधर्म का बोलबाला होता है, तब तब मै इस पृथ्वी पर अवतरित होता हूँ अर्थात जन्म लेता हूँ।
#5 गीता श्लोक हिन्दी अर्थ सहित
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥
हिंदी अर्थ: श्री कृष्ण भगवान कहते हैं - साधु तथा सज्जनों की रक्षा तथा दुष्टों का विनाश करने के लिए एवं धर्म की स्थापना हेतु, मैं हर एक युग में जन्म लेता हूँ।
यह भगवद गीता श्लोक, उनके भावार्थ (हिंदी अर्थ सहित) तथा हिंदी कविता के द्वारा दी गयी व्याख्या आपको कैसी लगी। कृपया कमेन्ट करके बताये। और अपने दोस्तों के साथ व्हाट्सप्प, फेसबुक पर निचे दिए गए बटनो के द्वारा शेयर करें।
धन्यवाद
21 Comments
Very good
ReplyDeletegood knowledge
ReplyDeleteThanks
DeleteJabardast
ReplyDeleteThe third one is great
ReplyDeleteVery useful
ReplyDeleteI apply it in my life thanku
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteBahot achhe se samajh aaya sir thank you
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteThanku
ReplyDeleteThis all are also my favourite. I always read gita. This book is one of my favourite.
ReplyDeleteOsome
ReplyDelete4 Shlok is the best
ReplyDelete4 Shlok is the best Shlok
ReplyDelete5 sholk are best
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteThird is great
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteMeaning and beautiful shlok's
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